तीसरी बार भ्रष्टाचार से घिरे उत्पाद अधीक्षक का पदस्थापन कोडरमा में पावर का दुरूपयोग की प्रबल संभावना :- सईद नसीम
तीसरी बार भ्रष्टाचार से घिरे उत्पाद अधीक्षक का पदस्थापन कोडरमा में पावर का दुरूपयोग की प्रबल संभावना :- सईद नसीम
प्रेम भारती
झुमरी तिलैया कांग्रेस नेता सईद नसीम ने कहा कि जिले के उत्पाद अधीक्षक के पद पर तीसरी बार हाल ही में पदस्थापित अजय कुमार गोंड के विरुद्ध पूर्व में आय से अधिक मामले में लोकायुक्त द्वारा एसीबी के डीजी को दिए गए प्राथमिकी दर्ज करने आदेश दिए गए थे। इसके बाद भी भ्रष्टाचार से घिरे पदाधिकारी की लगातार मनचाही पोस्टिंग कर दी जाती रही है। कोडरमा जिले में तीसरी बार यहां के उत्पाद अधीक्षक बनाए गए अजय कुमार गोंड के लिए काफी पसंदीदा जगह जान मालूम पड़ता हैं। इसका कारण शराब बंदी वाला बिहार राज्य का सीमावर्ती क्षेत्र होना। यहां देसी और विदेशी अंग्रेजी शराब के अवैध निर्माण और इसकी तस्करी से होने वाला बड़ी रकम के रूप में अवैध कमाई रहा है। इन पर आय सेअधिक 75 लाख से ज्यादा रुपये रखने के आरोप है इस पदाधिकारी को पूर्व में एक्साइज सुपरिंटेंडेंट से प्रमोशन कर कर सहायक आयुक्त बना दिया गया था। इसके बावजूद भी ईन्हें डिमोशन दे कर एक बार फिर एक्साइज सुपरिंटेंडेंट बनाते हुए तीसरी बार कोडरमा में पोस्टिंग कर दिया गया है। जो एक बड़ा प्रश्न है की अवैध कमाई के लिए लोग खुद का डिमोशन तक करवा लेते है। इस पदाधिकारी ने जिले में 2011 और 2017 में दो बार पदस्थापित होते हुए तीन-तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था। सईद नसीम ने बताया कि पदाधिकारी के पदस्थापित होते ही एक बार फिर जिले में संचालित सरकारी शराब दुकानों से शराब की बिक्री पर प्रति बोतल ₹10 से ₹40 तक की अवैध वसूली शुरू कर दी गई है। लोगों की शिकायत पहुंचने पर भी पदाधिकारी मौन है। वहीं सेल बढ़ाने के नाम पर इन्हीं सरकारी शराब दुकानों से बिहार में भी बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी कर अवैध कमाई शुरू की गई है। इन दोनों में एक बड़ा हिस्सा विभाग के पदाधिकारी तक भी पहुंचने की जानकारी मिल रही है। यही कारण है कि इनकी चुप्पी और छोटे मोटे करवाई के अलावा कोई एक्शन देखने को नही मिलता हैं। ट्रांसफर इसलिये किया जाता है ताकि सत्ता की पावर कुछ खास लोगों या समूहों तक न सीमित रह जाये, किसी एरिया विशेष में पावर का दुरुपयोग न होने लगे लेकिन बार बार पदाधिकारी जी की ओर से तीसरी बार यहां पोस्टिंग करने के पीछे का जो सबसे बड़ी बात जानकारी में आ रही है की पूर्व से ही जिले के जंगली इलाके में बड़े पैमाने पर अंग्रेजी एवं देसी शराब के अवैध निर्माण को लेकर फैक्ट्री संचालित होता रहा है। जहां सेटिंग गेटिंग के आधार पर चल रही इन फैक्ट्रीयो से प्रतिमाह विभाग के पदाधिकारी को नजराना लाखों रुपए मिलना तय होता है। सरकार एवं विभाग के वरीय पदाधिकारी से अनुरोध है ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारी पर तत्काल आय से अधिक मामले में लोकायुक्त के निर्देशानुसार कार्रवाई करते हुए इस बात की भी जांच कराई जाए की पदाधिकारी आखिर अपने कार्यकाल के दौरान बार-बार कोडरमा में ही पोस्टिंग करना क्यों चाहता है।
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