शोक सभा में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को दी गई श्रद्धांजलि
प्रेम भारती
कोडरमा - मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और पार्टी के सर्वोच्च नेता कॉमरेड सीताराम येचुरी के असामयिक निधन पर सहाना गार्डन कोडरमा में शोक सभा आयोजित कर वामपंथी प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष दलों के नेताओं ने कॉमरेड येचुरी को याद कर उनके तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दिया। जहां कॉमरेड सीताराम येचुरी अमर रहे, सीताराम येचुरी को लाल सलाम के नारे से माहौल गमगीन हो गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता सीपीएम के जिला सचिव असीम सरकार व संचालन रमेश प्रजापति ने किया। जिसे सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य संजय पासवान, सीपीआई के जिला सचिव प्रकाश रजक, माले के जिला सचिव राजेंद्र मेहता, जेएमएम नेता व मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष श्यामदेव यादव, राजद के चरणजीत सिहं, वामपंथी नेता प्रेम पाण्डेय, उदय द्विवेदी, बिनोद विश्वकर्मा, सीटू के जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश, दलित शोषण मुक्ति मंच के जिलाध्यक्ष दिनेश रविदास, सुशील अग्रवाल आदि ने सम्बोधित किया.
वक्ताओं ने कॉमरेड येचुरी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्री येचुरी के निधन से न केवल सीपीआई (एम) और वामपंथी आंदोलन को बल्कि पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है। 1970 के दशक से पचपन वर्षों तक देश के लिए येचुरी जी का योगदान असाधारण है। उन्होंने भारत के संविधान में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, आर्थिक-सामाजिक न्याय और संघीय व्यवस्था के मूल्यों की रक्षा के लिए अथक संघर्ष किया। उनकी वैचारिक, राजनीतिक और संगठनात्मक उपलब्धियाँ देश की एकता को अक्षुण्ण बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया। एक मुस्कुराते हुए, मिलनसार और खुले दिल वाले कॉमरेड के रूप में उन्हें सामान्य से सामान्य सहकर्मी भी प्यार करते थे। उनके अत्यंत विनम्र व्यक्तित्व में मानवता की गहरी भावना झलकती थी। विद्यार्थी रहते हुए ही उन्होंने निरंकुश प्रवृत्ति के साथ निडर होकर राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने के बाद उन्होंने पार्टी द्वारा सौंपी गई हर जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा और परिश्रम से निभाया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह श्रमिक आंदोलनों, समाजवाद के संघर्ष और सभी प्रकार के अधिनायकवाद के खिलाफ आंदोलन में एकजुट किए। भारत में आपातकाल का विरोध करते हुए राजनीतिक जीवन में प्रवेश करके उन्होंने धर्मनिरपेक्ष संयुक्त मोर्चा, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और इंडिया गठबंधन की राजनीतिक शक्ति को मूर्त रूप देने के लिए सबसे बड़ी भूमिका अदा किया, ताकि देश को फासीवाद की पकड़ से मुक्त कराया जा सके. ऐसे गठबंधनों में शामिल कोई भी नेता उनके योगदान को नहीं भूल सकता। देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति और कठिन घड़ी में उनका हमारे बीच से चले जाना पार्टी और धर्मनिरपेक्ष आंदोलन को काफी धक्का लगा है. नेताओं ने संकल्प लिया कि उनके दुखद निधन से हतोत्साहित हुए बिना हम संविधान की रक्षा और समाजवाद की स्थापना के लिए मजबूती से संघर्ष करते रहेंगे। कार्यक्रम में महेन्द्र तुरी, ग्यासउद्दीन अंसारी, भीखारी तुरी, परमेश्वर यादव, रामचंद्र राम, सुरेन्द्र राम, सुनील कुमार गुप्ता, दिलीप कुमार सिन्हा, तुलसी राणा, अर्जुन यादव, रामेश्वर यादव, कृष्णा वर्णवाल, सरयू दास, फेकुलाल विद्यार्थी, शम्भु कुमार सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
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