फिरौती के लिए अपहरण किए जाने के आरोपी को आजीवन कारावास 30,000 र जुर्माना भी लगाया

 फिरौती के लिए अपहरण किए जाने के आरोपी को आजीवन  कारावास 30,000 र  जुर्माना भी लगाया 



कोडरमा-    कोडरमा जिला उद्यान विभाग में डीप सिंचाई योजना के तहत कार्य कराने वाले रमेश सिंह वाराणसी निवासी को फिरौती के लिए अपहरण कर हत्या किए जाने के एक मामले की सुनवाई करते हुए  अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम  के न्यायाधीश गुलाम हैदर की अदालत ने कांड के आरोपी  पंकज कुमार सिंह, पिता- कृष्ण देव सिंह, 43 वर्ष, रजौली, नवादा निवासी को  364-A आईपीसी के तहत दोषी पाते हुए सश्रम आजीवन कारावास  की सजा सुनाई साथ ही ₹30000 जुर्माना लगाया । जुर्माना की राशि नहीं देने पर 2 वर्ष अतिरिक्त सजा भुगतनी  होगी। वहीं न्यायालय ने 386 आईपीसी  के तहत दोषी पाते हुए 9 वर्ष की सजा सुनाई साथ ही ₹10000 जुर्माना लगाया जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। सभी सजाऐ साथ-साथ चलेगी। बताते चलें कि  मृतक रमेश सिंह की पत्नी शीला सिंह के लिखित आवेदन पर तिलैया थाना में थाना कांड संख्या 59/ 2014  दर्ज किया गया था। थाना को दिए आवेदन में शीला सिंह वाराणसी निवासी ने कहा था कि  2 फरवरी 2014 को कोडरमा के किसानों का फाइल देने के बहाने एक व्यक्ति द्वारा फोन कर मेरे पति को बुलाया गया। वहां जाने के बाद उनसे हमारी बात हुई थी । उन्होंने कहा था कि  सिंह साहब बता रहे हैं कि रात में गांव से जाना ठीक नहीं रहेगा, इसलिए मैं इसी गांव में रुक जाता हूं।  फिर रात्रि करीब 4:00 बजे उनका फोन आया और रोते हुए कहे कि मैं यहां फऺस गया हूं मुझे किसी भी तरह बचा लीजिए। उसी वक्त किसी ने उनसे फोन लेकर कहा कि डेढ़ करोड़ रूपया  लाकर दो नहीं तो तुम्हारे पति को जान  से मार दूंगा। और यह किसी  को बताना नहीं, पुलिस को भी सूचना नहीं देना, नहीं तो तुम्हारा पति  जान से मार दिया जाएगा। तब मैंने कहा कि  मेरे पास उतना पैसा नहीं है । मेरे पास जो गहना है उसे बेचकर  मैं 5 लाख रुपया तक दे पाऊंगी। वह लोग मान गए और पैसा लेकर गया बुलाए। फिर वहां से रजौली बुलाए जहां 5 लाख रुपए एक युवक  जो उन लोगों द्वारा भेजा गया था को मेरे द्वारा दे दिया गया।  


 एसटी- 01 /2015 के मामले में अभियोजन का संचालक लोक अभियोजक  शिव शंकर राम  ने किया। इस दौरान सभी  गवाहों का परीक्षण कराया गया । लोक अभियोजक ने कार्रवाई के दौरान न्यायालय से   अभियुक्तों  को  ही फांसी की सजा देने का आग्रह किया। वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता  अनवर हुसैन ने दलीलें पेश करते हुए बचाव किया। अदालत ने सभी गवाहों और साक्षयो का अवलोकन करने के उपरांत अभियुक्त को दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लगाया।

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