क्या है भारतीय स्टेट बैंक शाखा डोमचांच का बड़ा खुलासा ?
क्या है भारतीय स्टेट बैंक शाखा डोमचांच का बड़ा खुलासा ?
भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच शाखा का करनामा पूरे भारत के बैंकिंग सेक्टर के क्षेत्र में हिला के रख दिया है बताते चलें कि ग्राहक रामकृष्ण मेहता अपने परिवार के भरण पोषण के लिए 12 चक्का ट्रक भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच से 2070000 हजार वित्त प्रदत जनवरी 2013 में कराया था लोन के एवज में बैंक को ग्राहक रामकृष्ण मेहता 25,64,026 रुपया भुगतान कर दिया। फिर भी भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच शाखा बिना सूचना का 12 चक्का ट्रक संख्या Jh12f0154 को 23 दिसंबर 2016 को जप्त कर लिया।जप्त करने के बाद ग्राहक रामकृष्ण मेहता माननीय न्यायालय जिला उपभोक्ता फॉर्म कोडरमा के शरण में इंसाफ के लिए जनवरी 2017 में गए।जिसका परिवाद वाद संख्या 4/ 2017 है तो बैंक उक्त वाद से बचने के लिए रामकृष्ण मेहता के ऊपर जिला नीलम न्यायालय में सर्टिफिकेट वाद मई 2017 में दायर कर दिया।जिसका नीलाम पत्र वाद संख्या 20/2017-18 शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच बनाम रामकृष्ण मेहता है। माननीय न्यायालय जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी कोडरमा एवं माननीय न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम में मामला विचार अधीन रहते हुए गाड़ी को बैंक द्वारा बेच दिया। कानून के जानकार विद्वान अधिवक्ता कहते हैं कि जब मामला न्यायालय में विचार अधीन है तो गाड़ी को कैसे बेच दिया? जबकि परिवाद संख्या 4/2017 में माननीय न्यायालय का फैसला ग्राहक रामकृष्ण मेहता के पक्ष में आया। बैंक को दोषी ठहराते हुए बैंक के ऊपर 25000 का जुर्माना एवं गाड़ी छोड़ने का आदेश है दिया।फैसला के आदेश के खिलाफ बैंक राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण रांची के न्यायालय में भी अपील दायर किया। जो अपील 30 नवंबर 2022 को खारिज हो गया। माननीय न्यायालय नीलम पत्र पदाधिकारी कोडरमा के न्यायालय में चल रहे नीलम वाद मे बैंक को दोषी ठहराते हुए रामकृष्ण मेहता के ऊपर लाया गया नीलम पत्र वाद को खारिज कर दिए।नीलम पत्र पदाधिकारी ने आदेश दिया कि जप्त के समय जिस हालत में गाड़ी था उसी हालत में 12 चका गाड़ी जे एच 12 f 0154 रामकृष्ण मेहता को वापस किया जाए। माननीय न्यायालय के नीलम पत्र वाद संख्या 20/017-18 शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच बनाम रामकृष्ण मेहता में न्यायालय द्वारा पारित आदेश का अनुपालन बैंक द्वारा समय सीमा के भीतर नहीं किया गया। तब न्यायालय का आदेश का अनुपालन करवाने के लिए माननीय न्यायालय अग्रणी जिला प्रबंधक कोडरमा एवं महाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक पटना को 28 दिसंबर 2021 को लिखित सूचना दिया। लेकिन बैंक के वरीय पदाधिकारी के कान तक जू नहीं रेंगा। जिसके कारण भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच के द्वारा दूसरे ग्राहक पर नीलम शाखा में सर्टिफिकेट वाद किया वह सभी सर्टिफिकेट वाद को 31 जनवरी 2022 को वापस कर दिया। आज भी माननीय न्यायालय नीलम शाखा कोडरमा में भारतीय स्टेट बैंक डोमचांच का सर्टिफिकेट वाद नहीं लिया जाता है। इधर जिला उपभोक्ता फोरम कोडरमा के आदेश का अनुपालन नहीं करने के कारण माननीय न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम कोडरमा के इजराय वाद संख्या 11/ 2017 में बैंक के खिलाफ डी डब्लू वारंट भी जारी है।गिरफ्तारी के डर से बैंक मैनेजर 10 जनवरी से फरार चल रहे हैं। मामला तो बड़ा दिलचस्प है अब क्या होगा ?यह तो भगवान ही जानते हैं।
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